छन्दशास्त्र
From Wikipedia, the free encyclopedia
छन्दःसूत्रम् पिंगल राव द्वारा रचित छन्द का मूल ग्रन्थ है और इस समय तक उपलब्ध है। यह सूत्रशैली में है और बिना भाष्य के अत्यन्त कठिन है। इसपर टीकाएँ तथा व्याख्याएँ हो चुकी हैं। यही छन्दशास्त्र का सर्वप्रथम ग्रन्थ माना जाता है। इसके पश्चात् इस शास्त्र पर संस्कृत साहित्य में अनेक ग्रन्थों की रचना हुई।
दसवीं शती में हलायुध ने इस पर 'मृतसञ्जीवनी' नामक भाष्य की रचना की। इस ग्रन्थ में पास्कल त्रिभुज का स्पष्ट वर्णन है। इस ग्रन्थ में इसे 'मेरु-प्रस्तार' कहा गया है। इसमें आठ अध्याय हैं।
- अन्य टीकाएं-
- लक्ष्मीनाथसुतचन्द्रशेखर -- पिङ्गलभावोद्यात
- चित्रसेन -- पिङ्गलटीका
- रविकर -- पिङ्गलसारविकासिनी
- राजेन्द्र दशावधान -- पिङ्गलतत्वप्रकाशिका
- लक्ष्मीनाथ -- पिङ्गलप्रदीप
- वंशीधर -- पिङ्गलप्रकाश
- वामनाचार्य -- पिङ्गलप्रकाश