बेसेमर प्रक्रिया
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बेसेमर प्रक्रिया, पिघले हुए ढलवां लोहे (पिग आयरन) से बड़े पैमाने पर स्टील के उत्पादन के लिए पहली सस्ती औद्योगिक प्रक्रिया थी। इस प्रक्रिया का नाम इसके अविष्कारक हेनरी बेसेमर के नाम पर रखा गया जिन्होंने 1855 में इस प्रक्रिया का पेटेंट करवाया. स्वतंत्र रूप से इस प्रक्रिया की खोज विलियम केली ने 1851 में की थी।[1][2] इस प्रक्रिया को सैकड़ों सालों से यूरोप के बाहर भी इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन यह औद्योगिक स्तर पर नहीं होता था।[3] इसका मुख्य सिद्धांत पिघले लोहे पर हवा की फुहारें मार कर ऑक्सीकरण द्वारा लोहे की अशुद्धियों को दूर करना है। ऑक्सीकरण लोहे के द्रव्यमान के तापमान को भी बढ़ा देता है और इसे पिघली हुई अवस्था में बनाए रखता है।
मूल दुर्दम्य परत (बेसिक रिफ्रेक्टरी लाईनिंग) के उपयोग वाली प्रक्रिया को मूल बेसेमर प्रक्रिया या गिलक्रिस्ट थॉमस प्रक्रिया के नाम से जाना जाता है, यह नाम इसके अविष्कारक सिडनी गिलक्रिस्ट थॉमस के नाम पर पड़ा है।