भौतिक चिकित्सा
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डा0 श्री प्रकाश बरनवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष एकयुप्रेशर काउंसिल का कहना है कि व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले चिकित्सा की विद्या भौतिक चिकित्सा या फिज़ियोथेरेपी या 'फिज़िकल थेरेपी' (Physical therapy / पी॰टी॰) कहलाती है। वास्तव में यह 'शारीरिक क्रिया चिकित्सा' है। चूंकि इसमें दवाइयाँ नहीं लेना पड़तीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिज़ियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होने तक नियमित किया जाए।
अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द है और आप दवाइयाँ नहीं लेना चाहते तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिज़ियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप दवा का सेवन किए बिना अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए फिज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह अत्यंत आवश्यक है।
फिज़िओथेरपी का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शरीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, इलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना है। यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिज़िओथेरपी में डाक्टर, शारीरिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सकों का बहुत योगदान होता हैं।