सुभाष चन्द्र बोस
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी एवम महान स्वतंत्रता सेनानी (1897-1945) / From Wikipedia, the free encyclopedia
सुभाष चन्द्र बोस (23 जनवरी 1897 - 18 अगस्त 1945) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था।[3] उनके द्वारा दिया गया "जय हिन्द" का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।[4]भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।
सुभाष चन्द्र बोस(The Forgotten Hero) | |
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ल. 1930 के दशक में बोस | |
आज़ाद हिन्द फ़ौज के दूसरे नेता | |
कार्यकाल 4 जुलाई 1943 – 18 अगस्त 1945 | |
पूर्वा धिकारी | मोहन सिंह |
उत्तरा धिकारी | पद समाप्त |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष | |
कार्यकाल 18 जनवरी 1938 – 29 अप्रैल 1939 | |
पूर्वा धिकारी | जवाहरलाल नेहरू |
उत्तरा धिकारी | राजेन्द्र प्रसाद |
ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक के संस्थापक और अध्यक्ष | |
कार्यकाल 22 जून 1939 – 16 जनवरी 1941 | |
पूर्वा धिकारी | पद आरम्भ |
उत्तरा धिकारी | सार्दुल सिंह कविशर |
5वें कलकत्ता के मेयर | |
कार्यकाल 22 अगस्त 1930 – 15 अप्रैल 1931 | |
पूर्वा धिकारी | यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त |
उत्तरा धिकारी | बिधान चंद्र राय |
जन्म | 23 जनवरी 1897 कटक, ओड़िशा सम्भाग, बंगाल प्रान्त, ब्रितानी भारत (वर्तमान के भारतीय राज्य ओडिशा के कटक जिले में) |
मृत्यु | 18 अगस्त 1945(1945-08-18) (उम्र 48) सेना अस्पताल नानमोन शाखा, ताईहोकु, जापानी ताइवान (वर्तमान ताईवान के ताइपे में ताइपे सिटी हॉस्पिटल हेपिंग फुयू ब्रांच) |
जन्म का नाम | सुभाष चन्द्र बोस |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक |
जीवन संगी | एमिली शेंकल (वि॰ 1937) (गुप्त रूप से विवाह किया जिसमें किसी तरह का कोई कार्यक्रम अथवा गवाह नहीं था, बोस ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की।[1]) |
बच्चे | अनिता बोस फाफ |
शैक्षिक सम्बद्धता |
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हस्ताक्षर | Signature of Subhas Chandra Bose in English and Bengali |
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से सहायता लेने का प्रयास किया था, तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।[5]
नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' (सर्वोच्च सेनापति) के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।
21 अक्टूबर 1943 को बोस ने आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फ़िलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड सहित 11 देशो की सरकारों ने मान्यता दी थी। जापान ने अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह इस अस्थायी सरकार को दे दिए। सुभाष उन द्वीपों में गए और उनका नया नामकरण किया।
1944 को आज़ाद हिंद फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ।
6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिए उनका आशीर्वाद और शुभ कामनाएँ मांगी।[6]
नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है।[7] जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से संबंधित दस्तावेज अब तक सार्वजनिक नहीं किए क्योंकि नेता जी की मृत्यु नहीं हुई थी। [8]
16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नेता जी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया।[9]
आज़ाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर इतिहास में पहली बार वर्ष 2018 में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने लाल क़िला पर तिरंगा फहराया। 23 जनवरी 2021 को नेताजी की 125वीं जयंती है जिसे भारत सरकार के निर्णय के तहत पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया ।8 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में राजपथ, जिसका नामकरण कर्तव्यपथ किया गया है , पर नेताजी की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया गया ।