तालिबान आन्दोलन
अफगानिस्तान में इस्लामी संगठन (1994 में स्थापित) / From Wikipedia, the free encyclopedia
तालिबान आंदोलन (طالبان) जिसे तालिबान या तालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं। इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है। 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था। तालेबान आन्दोलन को सिर्फ पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने ही मान्यता दे रखी थी। 2021 मे संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटों ने अफगानिस्तान मे हार स्वीकार कर तालिबान से शांति समझौता कर लिया है, और शांति समझौते के साथ ही तालिबान दोबारा सत्ता मे आ गया। तालिबान ने संपूर्ण अफगानिस्तान की सत्ता हासिल कर सभी नेताओं, जमींदारों, जागीरदारों से हाथ मिला कर शांति संधि कर ली। तालिबान ने अफगानिस्तान के सबसे शक्तिशाली विद्रोही राज्य पंजशीर पर अधिकार कर लिया और पंजशीर प्रांत के अधिकांश इलाकों पर जमींदारी करने वाले फ़ारसी भाषी शेख एवं ताजिक जमींदारों से शांति समझौता कर उन्हें अपनी तरफ मिला लिया। वर्ष 2021 मे तालिबान संपूर्ण अफगानिस्तान की सत्ता पर विराजमान हो गया।अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुँचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है।[1]
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