बोडो भाषा
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बोडो[2] (बर'/बड़ [bɔɽo]), र बोरो,[3] चिनियाँ तिब्बती भाषा हो जसलाइ खास गरी प्राथमिक रूपमा उत्तरपूर्व भारत, नेपाल र बङ्गाल क्षेत्रका बोडो जातिहरूद्वारा बोल्ने गरिन्छ। यो भारतको स्वायत्त क्षेत्र बोडोल्यान्डको आधिकारिक भाषा र आसामको सह-आधिकारिक भाषा हो।[4] यो भाषा भारतीय संविधानको विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त २२ अनुसूचित भाषाहरू मध्ये एक हो।[5] सन् १९६३ देखि यो भाषा देवनागरी लिपिमा लेख्ने गरिन्छ। पहिले यो भाषा रोमन तथा आसामी लिपिमा लेख्ने गरिन्थ्यो। केही भाषाविद्हरूका अनुसार यो भाषाको आफ्नै लिपि थियो जसलाई देवढाई लिपि भन्ने गरिन्थ्यो, समयको परिवर्तनसँगै हराउँदै गएको हो।
बोडो भाषा | |
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बोरो भाषा | |
बर'/बड़ | |
मूलभाषी | उत्तरपूर्व भारत |
रैथाने(हरू) | बोडो मानिस |
मातृभाषी वक्ता | १.४ मिलियन |
चिनियाँ-तिब्बती
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देवनागरी लिपि (आधिकारिक) रोमन (प्रयोग बढ्दो) पूर्वी नागरी (पूर्व) देवढाई (अप्रमाणित) | |
सरकारी दर्जा | |
आधिकारिक भाषा | भारत (बोडोल्यान्ड, आसाम) |
भाषा सङ्केतहरू | |
आइएसओ ६३९-३ | brx |
ग्लोटोलग | bodo1269 [1] |
अन्तर्गत एक शृङ्खलाको भाग | |
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भारतको संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषाहरू | |
श्रेणी | |
भारतीय गणतन्त्रको २२ आधिकारिक भाषाहरू | |
असमिया
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बङ्गाली
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बोडो
·
डोगरी
·
गुजराती
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सम्बन्धित | |
भारतीय संविधानको आठौँ अनुसूची
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