बियाह
मानव समाज के महत्वपूर्ण संस्कार / From Wikipedia, the free encyclopedia
बियाह एगो संस्कार हवे जेवना में लड़िका आ लड़की के सामजिक रूप से एक संघे पति-पत्नी की तरे रहे आ जीवन बितावे खातिर एक-दूसरा द्वारा चुनल आ सर्ब समाज द्वारा एके मान्यता दिहल जाला।
जब लईका आ लईकी एक दूसरा के, समाज क़ानून या रीती रिवाज के साक्षी राखी, के एक दोसरा के आपन जीवन साथी बनावेले बिआह कहल जाला। बिआह हिंदी भाषा के " बिबाह " शब्द के अपभ्रंस रूप ह। भोजपुरी भाषा के ई देशज शब्द के श्रेणी में आवेला। उर्दू के निकाह शब्द के मतलब बिआह ना होला। इस्लाम सभ्यता में बिआह ना होला। एह संस्कृति में बंस बढ़ावे खाती चाहे मानव के मूल जरूरत मैथुन के पूर्ति खाती मेहर (धन) देके कनिया कीनल जाला। एगो पुरुष क्ईओगो कनिया किन सकता एकर इस्लाम सभ्यता में आजादी बा।