डिजिटल फोटोग्राफी
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डिजिटल फोटोग्राफी. फोटोग्राफी की एक ऐसी विधा है जिसमे बहुत सारे एलेक्ट्रॉनिक फोटोडिटेक्टेर्स वाले कैमरे का प्रयोग लेंस द्वारा निर्दिष्ट की गयी वस्तु का फोटो खिचने के लिए करते हैं. यह फोटोग्रॅफिक फिल्म पर किसी वस्तु की अनावृत्ति से एकदम भिन्न है. इसके द्वारा खींची गयीं फोटो को डिजिटल फॉर्म मे किसी भी कंप्यूटर फाइल के रूप मे रखा जा सकता है. इस फाइल का उपयोग हम डिजिटल प्रोसेसिंग, डिजिटल पब्लिसिंग, फोटो को देखने अथवा उसका प्रिंट आउट निकालने के लिए कर सकते हैं.
इस प्रकार की तकनीक के अविष्कार से पूर्व फोटोग्राफ बनाने के लिए हम एक प्रकाश के प्रति अति संवेदनशील पेपर का उपयोग करते थे जिस पर पहले लेंस की सहायता से प्रकाश डालकर वस्तु की अनुकृति उभारी जाती थी और फिर इस पेपर को तरल रसायनिक घोल से धोकर फोटोग्राफ बनाए जाते थे. डिजिटल फोटोग्राफ पूर्ण रूप से कंप्यूटर आधारित फोटोएलेकट्रिक ओर मेकॅनिकल तकनीक का प्रयोग कर बनाए जाते हैं और इसमे गीले रसायनिक प्रसंस्करण का कोई स्थान नही है.
डिजिटल फोटोग्राफी वास्तव मे डिजिटल इमेजिंग का एक प्रकार है. इसके अलावा नॉन-फोटोग्रॅफिक उपकरण जैसे कि कंप्यूटर टोमोग्रफी, स्कैनर्स और रेडियो टेलिस्कोप्स के माध्यम से भी डिजिटल तस्वीरें बनाई जा सकती है. पहले से प्रिंटेड फोटोग्रॅफिक इमेज ओर नेगेटीव्स को स्कैन कर के भी डिजिटल फोटोग्राफ बनते हैं.
दुनिया मे आम उपभोक्ता के प्रयोग वाला पहला डिजिटल कैमरा वर्ष १९९० मे बाजार मे उपलब्ध हुआ. पेशेवर तौर पर फोटोग्राफी करने वाले लोग जल्द ही इसके प्रति आकर्षित होने लगे क्योंकि डिजिटल फाइल्स के माध्यम से वे अपने ग्राहकों और नियोक्ताओं को पारंपरिक फोटोग्राफी की तुलना मे अधिक शीघ्रता से बेहतर परिणाम प्रदान कर सकते थे. वर्ष २००७ के बाद से स्मार्ट्फोन मे भी डिजिटल कैमरा लगाया जाने लगा और आने वाले समय मे सोसल मीडिया, ई मेल और वेबसाइट मे आसानी से उपयोग की जा सकने वाली तस्वीरों के कारण डिजिटल कैमरे वाले स्मार्ट्फोन का व्यापक प्रसार हो पाया. वर्ष २०१० के बाद डिजिटल पॉइंट- एंड -शूट और डी एस एल आर फ़ॉर्मेट वाले कैमरों को भी मिररलेस डिजिटल कैमरा से प्रतिद्वंद्विता करनी पर रही है.
किसी अंतरिक्ष यान द्वारा उड़ान भरते हुई खींची जाने वाली पहली तस्वीर मेरिनर ४ द्वारा १५ जुलाई,१९६५ को नासा और जे पी एल द्वारा डिज़ाइन किए गये कैमरे से खींची गयी मंगल ग्रह की तस्वीर थी. इसमे वीडियो कॅमरा ट्यूब द्वारा तस्वीरे खिचने के उपरांत एक डिजिटाइज़र का उपयोग सॉलिड स्टेट सेन्सर एलिमेंट्स की जगह किया गया था. इसी कारण आम तौर पर इसे डिजिटल कैमरा नही मानते. फिर भी इस प्रयोग से एक डिजिटल इमेज का निर्माण हुआ जिसे एक टेप पर सरंक्षित करके बाद मे पृथ्वी पर प्रक्षेपित किया गया. [1] [2]
डिजिटल कैमरे के निर्माण का पहला अभिलिखित प्रयास १९७५ मे ईस्टमॅन कोडक के अभियंता स्टीवन सॅसन द्वारा किया गया था. [3] [4] उन्होने फेर्चाइल्ड सेमिकंडक्टर द्वारा १९७३ मे विकसित किए गये सॉलिड-स्टेट सी. डी. डी. (चार्ज-कपल्ड डिवाइस, एक उच्च-गति वाला सेमिकंडक्टर) इमेज सेन्सर चिप्स का प्रयोग किया। अपने पहले प्रयास मे इस ८ पाउंड्स (३.६ किलो ग्राम) वजन वाले कैमरे ने दिसंबर १९७५ मे २३ सेकंड के समय में ०.०१ मेगापिक्सेल (१०००० पिक्सेल) रिज़ोल्यूशन वाली श्वेत-श्याम तस्वीर को एक कैसेट टेप पर रेकॉर्ड किया. यह प्रोटोटाइप कैमरा सिर्फ़ तकनीकी प्रयोग के लिए था और इसका कोई भी व्यापारिक उत्पादन नही किया गया.
पहला वास्तविक डिजिटल कैमेरा. जिसने तस्वीर को कंप्यूटर फाइल के रूप मे रेकॉर्ड किया. १९८८ मे मे बना फूजी डी. एस. - १ पी था. इसने एक १६ एम बी के बैटरी से चलने वाले मेमोरी कार्ड पर तस्वीर को देता के रूप मे सरंक्षित किया. इस कैमेरा को कभी भी अंतराष्ट्रीय रूप से बेचा नही गया और इसके जापान से बाहर ले जाए जाने की भी कोई प्रमाण नही मिलते.
व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पहला डिजिटल कैमरा १९९० मे बना डयकाम मॉडेल १ था. इसे लौजिटेक फोटोमैन के नाम से भी जाना जाता है. इसमे एक सी. डी. डी. इमेज सेन्सर का उपयोग किया गया और इसने तस्वीरों को डिजिटली स्टोर किया. इस कैमेरा को इमेज डाउनलोड करने के लिए सीधे कंप्यूटर से भी जोड़ा जा सकता था. [5]