तीव्रग्राहिता
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तीव्रग्राहिता (Anaphlaxis) अथवा तीव्रग्राहिताजन्य स्तब्धता (shock) जीवित प्राणी की शरीरगत उस विशेष अवस्था को कहते हैं जो शरीर में किसी प्रकार के बाह्य प्रोटीन को प्रथम बार सुई द्वारा प्रविष्ट करने के तत्काल बाद, अथवा कुछ दिनों के उपरांत, दूसरी बार उसी प्रोटीन को सुई के द्वारा प्रविष्ट कराते ही प्रकट होती है। दूसरें शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि तीव्रग्राहिता मनुष्यों एवं जानवरों में होनेवाली बाह्य प्रोटीन के प्रति अत्यधिक बढ़ी हुई अति प्रभाव्यता (susceptibility) की अवस्था है, जो एक ही बाह्य प्रोटीन के योग को द्वितीय बार सुई द्वारा प्रविष्ट कराने के कारण स्तब्धता तथा प्रधात (assault) और मादक द्रव्यों से उत्पन्न लक्षणों के रूप में प्रगट होती है।
Anaphylaxis वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
बच्चा अपनी आँख खोलने में असमर्थ है | |
आईसीडी-१० | T78.2 |
आईसीडी-९ | 995.0 |
डिज़ीज़-डीबी | 29153 |
मेडलाइन प्लस | 000844 |
ईमेडिसिन | med/128 |
एम.ईएसएच | D000707 |
तीवग्राहिता का पता सर्वप्रथम चालर्स रॉबर्ट रीशे (Charles Robert Richet) ने 1883 ई0 में गिनीपिग, कुत्ते खरगोश इत्यादि पर परीक्षण करके लगाया था। तीव्रग्राहिताजन्य (anaphylactic) घटना को अनेक वियोजित अवयवों जैसे गर्भाशय तथा क्षुद्रआंत्र के कुछ भागों पर परीक्षण करके जब देखा गया तब इनमें भी विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया का नामकरण शुल्त्से डेल परीक्षण (schultz Dale Test) हो गया।
स्थानिक रूप में यह घटना तभी दृष्टिगोचर होती है जब बाह्य प्रोटीन को द्वितीय बार अधरत्वक सूई द्वारा प्रविष्ट किया गया हो। इसके लक्षणों के अंतर्गत सूई लगने के स्थान पर शोथ, दृढ़ीकरण (induration) तथा कोथयुक्त (gangrenous) परिवर्तन दिखाई देते हैं। यह प्रक्रिया सुई लगाने के 48 घंटें बाद होती है। इस प्रकार की स्थानिक उग्र तीव्रग्राहिताजन्य प्रतिक्रिया का वर्णन सर्वप्रथम मॉरिस ऑर्थर (Maurice Arthur) ने किया।
एनाफाइलैक्सिस एक गम्भीर एलर्जी (प्रत्यूर्जता) रिऐक्शन है जो अचानक आरम्भ होती है और इसके कारण मृत्यु हो सकती है।[1] एनाफाइलैक्सिस में विशेष रूप से अनेक लक्षण होते हैं जिनमें खुजलीयुक्त त्वचा विस्फोट, गले की सूजन और निम्न रक्तचाप शामिल हैं। इसके साधारण कारणों में कीटों द्वारा काटना, भोजन और दवाएँ शामिल हैं।
एनाफाइलैक्सिस का कारण विभिन्न प्रकार की श्वेत रक्त कणिकाओं द्वारा प्रोटीनों का स्राव करना है। ये प्रोटीन ऐसे पदार्थ हैं जो एलर्जीयुक्त रिऐक्शन को आरम्भ कर सकते हैं या रिऐक्शन को अधिक गम्भीर बना सकते हैं। उनका स्राव प्रतिरक्षण प्रणाली रिऐक्शन या अन्य किसी कारण से हो सकता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित न हो। एनाफाइलैक्सिस का निदान व्यक्ति के लक्षणों और संकेतों के आधार पर किया जाता है। इसका प्राथमिक उपचार एपाइनफराइन का इंजेक्शन है जो कभी- कभी अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है।
पूरे विश्व में लगभग 0.05 -2% लोगों को अपने जीवन में कभी ना कभी एनाफाइलैक्सिस होता है। इसकी दर में वृद्धि होती दिखाई दे रही है। इस शब्द की उत्पति ग्रीक शब्दों ἀνά एना, प्रतिकूल और φύλαξις फाइलैक्सिस, सुरक्षासे हुई है।