दंत-क्षरण
दंत्य रोग / From Wikipedia, the free encyclopedia
दंत क्षरण, जिसे दंत-अस्थिक्षय या छिद्र भी कहा जाता है, एक बीमारी है जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दन्तबल्क, दन्त-ऊतक और दंतमूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिससे दन्त-क्षय (छिद्र, दातों में छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं। दन्त-क्षय दो जीवाणुओं के कारण प्रारंभ होता है: स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटान्स (Streptococcus mutans) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) . यदि इसका इलाज न किया गया तो, इस बीमारी के परिणामस्वरूप दर्द, दांतों की हानि, संक्रमण और चरम स्थितियों में मृत्यु तक हो सकती है।[1] वर्तमान में, दंत-क्षय पूरे विश्व में सबसे आम बीमारी बना हुआ है। दंत-क्षय के अध्ययन को क्षय-विज्ञान (Cariology) कहा जाता है।
दंत-क्षरण वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
दंत-क्षरण से उत्पन्न ग्रीवा के क्षरण के करण दांत का विनाश. इस प्रकार के क्षरण को मूल क्षरण भी कहा जाता है। | |
आईसीडी-१० | K02. |
आईसीडी-९ | 521.0 |
डिज़ीज़-डीबी | 29357 |
मेडलाइन प्लस | 001055 |
क्षयों की प्रस्तुति में अंतर हो सकता है; हालांकि, जोखिम कारक और विकास के चरण एक समान होते हैं। प्रारंभ में यह एक छोटे खड़ियामय क्षेत्र के रूप में प्रतीत हो सकता है, जो अंततः एक बड़े छिद्र के रूप में विकसित हो जाता है। कभी-कभी क्षय को प्रत्यक्ष रूप से देखा भी जा सकता है, हालांकि दांतों के कम दर्शनीय भागों के लिये व क्षति के विस्तार का आकलन करने के लिये इसकी पहचान की अन्य विधियों, जैसे रेडियोग्राफ, का प्रयोग किया जाता है।
दन्त-क्षय अम्ल-उत्पन्न करने वाले एक विशिष्ट प्रकार के जीवाणुओं के कारण होता है, जो कि किण्वन-योग्य कार्बोहाइड्रेट्स, जैसे सुक्रोज़ (sucrose), फ्रुक्टोज़ (fructose) और ग्लूकोज़ (glucose) की उपस्थिति में दांतों को क्षति पहुंचाते हैं।[2][3][4] दांतों की खनिज सामग्री लैक्टिक अम्ल के कारण होने वाली अम्लता-वृद्धि के प्रति संवेदनशील होती है। विशिष्ट रूप से, एक दांत (जो कि मुख्यतः खनिज से मिलकर बना होता है) में दांत व लार के बीच अखनीजीकरण (demineralization) और पुनर्खनीजीकरण (remineralization) की एक सतत प्रक्रिया चलती रहती है। जब दांत की सतह पर पीएच (pH) 5.5 से नीचे चला जाता है, तो पुनर्खनीजीकरण की तुलना में अखनीजीकरण अधिक तेज़ी से होने लगता है (जिसका अर्थ यह है कि दांत की सतह पर खनिज संरचना में शुद्ध हानि हो रही है)। इसके परिणामस्वरूप दांत का क्षरण होता है। दांत के क्षरण के विस्तार के आधार पर, दांत को पुनः उपयुक्त स्वरूप, कार्य व सौंदर्य में वापस लाने के लिये विभिन्न उपचार किये जा सकते हैं, लेकिन दांत की संरचना की बड़ी मात्रा की पुनर्प्राप्ति के लिये कोई ज्ञात विधि उपलब्ध नहीं है, हालांकि स्टेम-सेल संबंधी अनुसंधान ऐसी एक विधि की ओर संकेत करते हैं। इसके बजाय, दंत स्वास्थ्य संगठन दंत क्षय से बचाव के लिये नियमित मौखिक स्वच्छता और आहार में परिवर्तन जैसे निवारक और रोगनिरोधक उपायों का समर्थन करते हैं।[5]