यीशु का स्वर्गारोहण
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यीशु का स्वर्गारोहण (अंग्रेज़ी: Ascension of Jesus, वल्गेट लैटिन: ascensio Iesu से व्युत्पन्न) एक ईसाई मान्यता है, जो प्रमुख ईसाई धर्मसारों और स्वीकारोक्ति कथनों में परिलक्षित होती है, कि यीशु अपने पुनरुत्थान के बाद स्वर्ग में चढ़ अथवा आरोहित हो गए , जहां परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठे[1] उन्हें प्रभु और मसीह के रूप में उत्कर्षित किया गया।[2][3] ईसाई धर्म में, यीशु का स्वर्गारोहण परमेश्वर की उपस्थिति में यीशु के पृथ्वी से प्रस्थान को कहा जाता है। यह सिद्धांत इस्लाम में भी पाया जाता है, जहां माना जाता है कि यीशु को सूली पर नहीं चढ़ाया गया था, बल्कि जीवित रहते हुए ही उन्होंने स्वर्गारोहण किया था।
सुसमाचार और अन्य नए नियम के लेखन में पुनरुत्थान और उत्कर्षण (exhalation) को एक ही घटना के रूप में दर्शाया गया है।[4][5] स्वर्गारोहण "वर्णन से अधिक अनुमानित है" और केवल लूका और प्रेरितों के काम में इसका प्रत्यक्ष विवरण है[6], लेकिन विभिन्न कालक्रम के साथ।[note 1]
ईसाई कला में , आरोही यीशु को अक्सर अपने नीचे एक सांसारिक समूह को आशीर्वाद देते हुए दिखाया जाता है, जो संपूर्ण कलीसिया को दर्शाता है।[9] स्वर्गारोहण का पर्व ईस्टर के ४०वें दिन मनाया जाता है , हमेशा गुरुवार को[1]; कुछ रूढ़िवादी परंपराओं में पश्चिमी परंपरा की तुलना में एक महीने बाद तक एक अलग तिथीपत्र होता है, और जबकि एंग्लिकन कम्युनियन ने इस पर्व का पालन करना जारी रखा है, कई प्रोटेस्टेंट चर्चों ने इसका पालन करना छोड़ दिया है।[10][11]
- Cross & Livingstone 2005, पृ॰ 114.
- Novakovic 2014, पृ॰ 135.
- Hurtado 2005, पृ॰ 508, 591.
- Zwiep 2016, पृ॰ 145.
- Holwerda 1979, पृ॰ 310-311.
- Holwerda 1979, पृ॰ 310.
- Ouspensky & Lossky 1999, पृ॰ 197.
- Quast 2011, पृ॰ 45.
- Stokl-Ben-Ezra 2007, पृ॰ 286.
- In Luke, the ascencion seems to be on the same day as the resurrection. In Acts, Jesus' ascension is situated on the fortieth day counting from the resurrection in the presence of eleven of his apostles,[7] thereby putting a limit on the number of resurrection appearances,[4] and effectively excluding Paul's conversion experience from the bona fide resurrection appearances.[8]