सर्वांगसमता
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ज्यामिति में बिन्दुओं के दो समुच्चय को परस्पर सर्वांगसम (congruent) कहते हैं यदि उनमें से किसी एक समुच्चय को स्थानान्तरण (translation),घूर्णन (rotation), परावर्तन (reflection) या इनके मिश्रित क्रियाओं के द्वारा परिवर्तित करने पर दूसरा समुच्चय प्राप्त किया जा सके। सर्वांगसम = सर्व + अंग + सम = सभी अंग बराबर। इसे और अधिक सरल रूप में यों कह सकते हैं कि दो चित्र यदि आकार-प्रकार (shape and size) में समान हैं तो वे परस्पर सर्वांगसम होते हैं (यद्यपि वे अलग-अलग स्थान पर हैं या अलग-अलग स्थितिओं में हो सकते हैं)।