हज्जाज बिन यूसुफ़
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अल-हज्जाज बिन यूसुफ़ (अरबी: الحجاج بن يوسف, अंग्रेज़ी: Al-Hajjaaj bin Yoosuf) इस्लाम के शुरूआती काल में उमय्यद ख़िलाफ़त का एक अरब प्रशासक, रक्षामंत्री और राजनीतिज्ञ था जो इतिहास में बहुत विवादित रहा है। वह एक चतुर और सख़्त शासक था, हालांकि अब कुछ इतिहासकारों का मत है कि उमय्यद ख़िलाफ़त के बाद आने वाले अब्बासी ख़िलाफ़त के इतिहासकार उमय्यादों से नफ़रत करते थे और हो सकता है उन्होंने अपनी लिखाईयों में अल-हज्जाज का नाम बिगाड़ा हो।[1]
الحجاج بن يوسف अल-हज्जाज बिन यूसुफ़ | |
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अल-हज्जाज बिन यूसुफ़ की मोहर | |
जन्म |
कुलैब बिन युसुफ़ जून के शुरुआत में, वर्ष ६६१ ईसवी / ४० हिजरी ताइफ़, हिजाज़ क्षेत्र (आधुनिक सउदी अरब में) |
मौत |
७१४ ईसवी / ९५ हिजरी |
पेशा | रक्षा मंत्री, राजनीतिज्ञ, प्रशासक व अध्यापक |
प्रसिद्धि का कारण | उमय्यद ख़िलाफ़त का इराक़ का राज्यपाल |
धर्म | सुन्नी इस्लाम |
हज्जाज उमय्यद सेनाओं के सिपहसालार चुनने में बहुत ध्यान देता था। उसने अरब सेनाओं में गहरा अनुशासन स्थापित किया और यह चीज़ उमय्यद काल में इस्लामी साम्राज्य के सबसे अधिक विस्तार का एक बड़ा कारण बनी। भारतीय उपमहाद्वीप के सिंध और पंजाब क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा करने वाले मुहम्मद बिन क़ासिम को भी हज्जाज ही ने चुना था। उसने ज़ोर देकर उमय्यद साम्राज्य के सभी दस्तावेजों को अरबी भाषा में अनुवादित करवाया और ख़लीफ़ा अब्द अल-मालिक बिन मरवान को समझाकर मुस्लिम क्षेत्रों के लिए एक अलग मुद्रा बनवाई। इस वजह से सन् ६९२ में बीज़ान्टिन सल्तनत के राजा जस्टिनियन द्वितीय और उमय्यद ख़िलाफ़त के बीच 'सिबास्तोपोलिस का युद्ध' छिड़ गया जिसमें उमय्यादों की विजय हुई।