हर्यक वंश
प्राचीन भारत और मगध का तीसरा राजवंश / From Wikipedia, the free encyclopedia
हर्यक राजवंश मगध पर शासन करने वाला पहला राजवंश था। हर्यक राजवंश मे कुल सात राजाओं द्वारा ल. 544 से 413 ई.पू मे 131 वर्षों तक शासन किया गया था। हर्यक राजवंश की स्थापना 544 ई.पू. में बिम्बिसार के द्वारा प्रद्योत वंश के अंतिम शासक महाराजा वर्तिवर्धन की हत्या करने के बाद की गई थी। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगृह) को राज्य की राजधानी बना कर शासन किया।[1]
सामान्य तथ्य हर्यक राजवंश, राजधानी ...
हर्यक राजवंश | |||||||||||
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ल. 544 – ल. 413 ई.पू | |||||||||||
राजधानी | राजगीर (गिरिव्रज) बाद में, पाटलिपुत्र | ||||||||||
प्रचलित भाषाएँ | संस्कृत (मुख्य) मागधी प्राकृत | ||||||||||
धर्म | हिंदू धर्म साथ ही जैन धर्म और बौद्ध धर्म | ||||||||||
सरकार | राजतन्त्र | ||||||||||
सम्राट | |||||||||||
• ल. 544–492 ई.पू (प्रथम) | बिम्बिसार | ||||||||||
• ल. 492–460 ई.पू (मुख्य) | अजातशत्रु | ||||||||||
• ल. 460–440 ई.पू (मुख्य) | उदयन | ||||||||||
• ल. 437–413 ई.पू (अंतिम) | नागदशक | ||||||||||
ऐतिहासिक युग | लौह युग | ||||||||||
मुद्रा | पण | ||||||||||
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अब जिस देश का हिस्सा है | भारत |
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