2002 की गुजरात हिंसा
भारतीय राज्य गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा की तीन दिन की अवधि / From Wikipedia, the free encyclopedia
2002 के गुजरात दंगे , जिसे 2002 गुजरात पोग्रोम के रूप में भी जाना जाता है, पश्चिमी भारतीय राज्य गुजरात में तीन दिनों की अंतर-सांप्रदायिक हिंसा थी। प्रारंभिक घटना के बाद, अहमदाबाद में तीन महीने तक हिंसा का प्रकोप रहा; राज्यव्यापी, अगले वर्ष के लिए मुस्लिम आबादी के खिलाफ हिंसा का अधिक प्रकोप था। २७ फरवरी २००२ की गोधरा में एक ट्रेन को मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा जलाने से ५८ हिन्दू कारसेवकों की मौत हो गई थी जो अयोध्या से लौट रहे थे।[6][7][8][9] इससे गुजरात में मुसलमानों के ख़िलाफ़ एकतरफ़ा हिंसा का माहौल बन गया। इसमें लगभग ७९० मुसलमानों एवं २५४ हिंदू मारे गए।
2002 के गुजरात दंगे | |||||||
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फ़रवरी और मार्च 2002 में घरों और दुकानों को सांप्रदायिक भीड़ूँ की लगाई आग के धुओं से भरा अहमदाबाद का आसमान | |||||||
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आहत | |||||||
७९० मुस्लिम[1][2][3] | 254 हिंदू[1][4][5] |
उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री, नरेन्द्र मोदी पर हिंसा को शुरू करने और निंदा करने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि पुलिस और सरकारी अधिकारी थे जिन्होंने कथित रूप से दंगाइयों को निर्देशित किया था और उन्हें मुस्लिम-स्वामित्व वाली संपत्तियों की सूची दी थी। पर असल में दंगों के समय पड़ोसी राज्यों से मदद मांगी गई तो उन्होंने अपने राजनैतिक स्वार्थ को आगे रखते हुए मदद करने से मना कर दिया। हालांकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा २०१४ के आम चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी गई थी।