क़ुरआन
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क़ुरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पाक किताब है मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल अलैहिस्सलाम द्वारा पैगम्बर मुहम्मद साहब को सुनाया था।[1] मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च और आखरी आसमानी किताब है।[2][3] हालाँकि आरम्भ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैगम्बर मुहम्मद साहब के विसाल (स्वर्गवास) के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह द्वारा भेजे गए पाक संदेशों के सबसे अन्तिम संदेश कुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहले नबी (पैगम्बर या पयम्बर) थे।
क़ुरआन अल्लाह/ईश्वर का कलाम (सन्देश) है, जो आखिरी सन्देष्टा पैगंबर मोहम्मद ﷺ पर अवतरित हुआ। सम्पूर्ण क़ुरआन वही के माध्यम से पूरे 23 साल में नाज़िल (अवतरित) हुआ। क़ुरआन सूरह अल-फातिहा से शुरू हो कर सूरह अन-निसा पर समाप्त होता है। सम्पूर्ण कुरान 30 पारो (खंडों) में विभाजित किया गया है तथा इसमें 114 सूरतें (अध्याय) हैं। क़ुरआन की कुल 114 सूरतो में 558 रुकू है तथा सम्पूर्ण क़ुरआन में 6236 आयत (छंद या Verses) है तथा क़ुरआन में कलिमात यानी (वाक्यों) की संख्या 77439 है (शेख़ मुज़मद रज्जब की किताब "हक़ायक़ हौल-अल-क़ुरआन) तथा क़ुरआन में हुरूफ़ यानी शब्दों की संख्या 340740 है(स्पष्ट नहीं है)। सम्पूर्ण कुरान में कुल 14 सजदे है।