अल-लात
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अल-लात या अल्लात (अरबी: اللات, अंग्रेज़ी: Allat या al-Lat) इस्लाम से पहले के अरब के पारम्परिक धर्म में एक देवी का नाम था।[1] वह मक्का की तीन मुख्य देवियों में से एक थी।[2] इस्लाम-पूर्व के अरब अल-लात को भगवान की तीन बेटियों में से एक मानते थे (अन्य दो मनात और अल-उज़्ज़ा थीं)।[3]
आधुनिक मक्का प्रान्त की सरवात पहाड़ियों के प्रसिद्ध ताइफ़ शहर के एक मंदिर में अल-लात की एक बड़ी मूर्ती थी जहाँ श्रद्धालु जन बड़ी संख्या में आया करते थे। ६३० ईसवी में मुहम्मद ने अपने एक सिपहसालार अबू सुफ़यान बिन हर्ब को मंदिर और मूर्ती दोनों नष्ट करने का आदेश दिया। उस समय ताइफ़ के नागरिक अल-लात से जुड़े हुए थे लेकिन उनके शहर पर मुस्लिम फ़ौजों के लगातार हमले जारी थे। हज़रत मुहम्मद ने ताइफ़ के साथ बातचीत करने के लिए राज़ी होने के लिए यह मांग रखी कि मंदिर और मूर्ती तोड़ी जाएँ।[3]