चाणक्य
प्राचीन भारतीय दार्शनिक और बहुश्रुत / From Wikipedia, the free encyclopedia
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य अथवा विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात थे। संभवत: चणक नामक व्यक्ति के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखण्ड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यो में करने के कारण वह 'कौटिल्य' कहलाये।
चाणक्य | |
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जन्म |
375 BCE (Julian) विक्रमसीला |
मौत |
283 BCE (Julian) पटना |
नागरिकता | मौर्य राजवंश[1] |
पेशा | लेखक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, शिक्षक, राजनीतिज्ञ[2] |
पदवी | प्रोफ़ेसर |
प्रसिद्धि का कारण | अर्थशास्त्र ग्रन्थ[3] |
धर्म | जैनसनातन धर्म[4] |
उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को अजापाल से प्रजापाल (राजा) बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। चाणक्य की मृत्यु को लेकर दो कहानियां संदर्भ में आती है लेकिन दोनों में से कौन सी सच है इसका अभी कोई सार नहीं निकला है।
विष्णुपुराण, भागवत आदि पुराणों तथा कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथो में भी इनकी कथा बराबर मिलती है। बुद्धघोष की बनाई हुई विनयपिटक की टीका तथा महानाम स्थविर रचित महावंश की टीका में चाणक्य का वृत्तांत दिया हुआ है। चाणक्य तक्षशिला (एक नगर जो रावलपिंडी के पास था) के निवासी थे। इनके जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य चंद्रगुप्त की राज्यप्राप्ति से है। ये उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान थे, इसमें कोई संदेह नहीं। कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
चाणक्य के नाम पर डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा लिखित और निर्देशित ४७ भागों वाला एक धारावाहिक भी बना था जिसे मूल रूप से 8 सितंबर 1991 से 9 अगस्त 1992 तक डीडी नेशनल पर प्रसारित किया गया था।