षड्यन्त्र का सिद्धान्त
एक घटना या स्थिति की व्याख्या जो एक साजिश का आह्वान करती है / From Wikipedia, the free encyclopedia
षड्यंत्र का सिद्धांत (कांस्पीरेसी थ्योरी) एक ऐसा शब्द है, जो मूलत: किसी नागरिक, आपराधिक या राजनीतिक षड्यंत्र के दावे के एक तटस्थ विवरणक के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, यह बाद में काफी अपमानजनक हो गया और पूरी तरह सिर्फ हाशिये पर स्थित उस सिद्धांत के लिए प्रयुक्त होने लगा, जो किसी ऐतिहासिक या वर्तमान घटना को लगभग अतिमानवीय शक्ति प्राप्त और चालाक षड़यंत्रकारियों की गुप्त साजिश के परिणाम के रूप में व्याख्यायित करता है।[1]
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षड्यंत्र के सिद्धांत को विद्वानों द्वारा संदेह के साथ देखा जाता है, क्योंकि वह शायद ही किसी निर्णायक सबूत द्वारा समर्थित होता है और संस्थागत विश्लेषण के विपरीत होता है, जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात संस्थाओं में लोगों के सामूहिक व्यवहार पर केंद्रित होती है और जो ऐतिहासिक और वर्तमान घटनाओं की व्याख्या के लिए विद्वतापूर्ण सामग्रियों और मुख्यधारा की मीडिया रपटों में दर्ज तथ्यों पर आधारित होती है, न कि घटना के मकसद और व्यक्तियों की गुप्त सांठगांठ की कार्रवाइयों की अटकलों पर.[1][2]
इसलिए यह शब्द अक्सर हल्के रूप से एक विश्वास को चित्रित करने के प्रयास के रूप में प्रयुक्त होता है, जो विचित्र तरह का झूठ हो और सनकी के रूप में चिह्नित किये हुए या उन्मादी प्रकृति के लोगों वाले समूह द्वारा व्यक्त किया गया हो. इस तरह का चित्रण अपने संभावित अनौचित्य और अनुपयुक्तता के कारण अक्सर विवाद का विषय होता है।[3]
राजनीति वैज्ञानिक माइकल बारकुन के मुताबिक षड्यंत्र के सिद्धांत कभी हाशिये पर या कुछ थोड़े लोगों तक सीमित होते थे, पर अब जनप्रचार माध्यमों के लिए आम हो गये हैं। वे तर्क देते हैं कि इसने षड्यंत्रवाद की अवधारणा पैदा होने में योगदान दिया, जो 20 वीं सदी के आखिर और 21 वीं सदी के प्रारंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका में सांस्कृतिक घटना के रूप में उभरा और जनता के मन में राजनीतिक कार्रवाई के प्रभावी प्रतिमान के रूप में लोकतंत्र के संभावित प्रतिस्थापन के रूप में साजिश को माना गया।[1] मानवविज्ञानी टॉड सैंडर्स और हैरी जी वेस्ट के मुताबिक "सबूत से पता चलता है कि आज अमेरिकियों का एक व्यापक वर्ग ..... षड्यंत्र के कम से कम कुछ सिद्धांतों को सही मानता है।"[4] इसलिए षड्यंत्र के सिद्धांतों में विश्वास समाजशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों और लोककथाओं के विशेषज्ञों की रुचि का एक विषय हो गया है।